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तीन लाइन का सरकारी-आदेश – टी.सी.पी. पास करवाकर शोषण-भ्रष्टाचार को आम-नागरिक कैसे रोक सकते हैं

                  मैं – (वोटर आई.डी. नंबर) _________________________________________   
भ्रष्टाचार रोकने वाली प्रक्रिया जिसकी हमें तुरंत आवश्यकता है, उसका निम्नलिखित सरकारी आदेश पर मुख्यमंत्री से हस्ताक्षर करने की मांग करता हूँ

सिर्फ तीन लाइन का यह कानून शोषण, भ्रष्टाचार, गरीबी, अशिक्षा, महंगाई, बेरोजगारी गवाह, अपराध की जानकारी देने वाले कार्यकर्ताओं (सचेतकों) की जान बचायेगा, आदि समस्याओं को कुछ ही महीनों में कम कर देगा और देश में सच्चे लोकतंत्र को मजबूत करेगा

1. पारदर्शी शिकायत-प्रस्ताव प्रणाली = प्रमाणिक नागरिकों का मीडिया = Citizen`s Verifiable Transparent Complaint Procedure (TCP ; टी.सी.पी.) का सारांश

¨              (1) जनता का जांचा जा सकने वाला मीडिया – कोई भी नागरिक अपनी बात को 20 रुपये एफिडेविट पर रखकर, प्रधानमंत्री (या मुख्यमंत्री) वेबसाईट पर अपने वोटर आई.डी नंबर के साथ, कलेक्टर आदि निश्चित सरकारी दफ्तर पर जाकर पूरा स्कैन करवा सकता है, ताकि बिना लॉग-इन कोई भी इसे देख सकता है |

¨              (2) दर्ज एफिडेविट पर नागरिक का वोटर आई.डी. समर्थन / विरोध(2.1) कोई भी मतदाता धारा-1 द्वारा दर्ज अर्जी या एफिडेविट पर अपनी हाँ / ना प्रधानमंत्री (या मुख्यमंत्री) वेबसाईट पर, अपने वोटर आई.डी. नंबर के साथ दर्ज करवा सकता है पटवारी आदि सरकारी दफ्तर जाकर और 3 रुपया शुल्क देकर (एस.एम.एस. सिस्टम आने पर शुल्क 5 पैसे)

¨              (2.2) सुरक्षा धारा – (जिसके कारण आम-नागरिक ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि ये प्रक्रिया पैसों से, गुंडों से या मीडिया द्वारा प्रभावित नहीं की जा सकती) – नागरिक किसी भी दिन अपनी हाँ या न, बिना किसी शुल्क के रद्द कर सकता है

¨              (3) राय-संख्या बाध्य नहीं – यह हाँ या ना अधिकारी, मंत्री, न्यायाधीश, सांसद, विधायक, आदि पर अनिवार्य नहीं होगा | उनका निर्णय अंतिम होगा |

Ø    बस ये इतना ही है । आसान शब्दों में कहें तो 'यदि कोई मतदाता अपना कोई प्रस्ताव/सुझाव/शिकायत आदि एफिडेविट अपने मतदाता पहचान पत्र संख्या के साथ प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री वेबसाईट या अन्य सरकार द्वारा निश्चित वेबसाईट पर स्कैन करके रखना चाहता है, तो निश्चित शुल्क लेकर उसे ऐसा करने दिया जाए'

2. कैसे ये प्रक्रिया शोषण-भ्रष्टाचार कम कर सकती है ?

आज के सिस्टम की दुर्दशा - मान लीजिए, किसी क्षेत्र में कोई शोषण-भ्रष्टाचार या अपराध हुआ है और नागरिक उसकी 10 पेज की शिकायत लिखवाता है या गवाही/सबूत देता है और नागरिक को शिकायत की कॉपी मिलती है तो उसे कोई भ्रष्ट अफसर अपराधियों के साथ सांठ-गाँठ करके आसानी से दबा सकते हैं | क्योंकि नागरिक अपनी दर्ज अर्जी जमा करने के बाद देख नहीं सकते | और आज के सिस्टम में गवाहों को गलत तत्व आसानी से डरा-धमका सकते हैं ; यहाँ तक गवाहों को जान से भी मार दिया जाता है | क्योंकि गुंडों को मालूम है कि अधिक लोगों को तथ्य की जानकारी नहीं है और गवाह  दबाने/मारने से सबूत समाप्त हो जायेंगे |

  अब मान लीजिए कि जिसने शिकायत लिखाई है उसके पास या उसके समूह के पास कोई बड़ा समाचार पत्र है जो लाखों घरों में पहुँच जाता है और उसमें वो 10 पेज का एक-एक शब्द डाल देते हैं | अब यदि लाखों घरों तक कोई बात का एक-एक शब्द पहुँच जायेगा तो जाहिर है, भ्रष्ट लोगों को उसको दबाना अधिक कठिन होगा उसकी तुलना में कि वो प्रमाण एक ही दफ्तर में है और कुछ ही लोगों को दिख रहा है |

  लेकिन समस्या ये है कि बहुत ही कम लोग रोज का लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करके ऐसा समाचार पत्र खोल सकते हैं जो लाखों घरों में जाता हो | इसीलिए आज सच्ची बात को दबाना बहुत आसान है और झूठी बात को फैलाना बहुत आसान क्योंकि भ्रष्ट लोगों के पास मीडिया मालिक आदि के साथ संपर्क होता हैं और आम नागरिक के पास ऐसा कोई संपर्क नहीं होता, भ्रष्ट लोगों की पहुँच अधिक होती और आम नागरिक की पहुँच बहुत कम |

सरल सा उपाय - यदि ऐसी प्रक्रिया आ जाती है जिससे नागरिक अपनी बात प्रधानमंत्री, सांसद, विधायक आदि नामी जनसेवक की वेबसाईट पर भी अपने वोटर आई.डी. नंबर (मतदाता पहचान पत्र संख्या) के साथ रख सकता है, तो आम-नागरिक की पहुँच बढ़ जायेगी और दूसरा नागरिक मतदाता सूची से पता लगा सकता है कि ये व्यक्ति असली है या फर्जी | और क्योंकि स्टैम्प पेपर पर व्यक्ति का पता भी दिया है, इसलिए नागरिक स्टैम्प पेपर डलवाने वाले व्यक्ति से संपर्क करके और अधिक जानकारी ले सकता है या अपना कोई संदेह पूछ सकता है | तो फिर, यदि नागरिक संतुष्ट हो जाता है और पाता है कि स्टैम्प पेपर पर लिखी बात से सबका भला होगा तो वो ये बात और लोगों को बताएगा और बात फैलेगी |  
  यदि नागरिकों के पास ये नागरिक-प्रामाणिक विकल्प है कि वे अपनी बात, सबूत या राय अपनी वोटर आई.डी. नंबर के साथ सार्वजनिक रूप से दर्शा सकते हैं
, तो अफसर देखेगा कि सबूत को दबाया नहीं जा सकता है, अब तो लाखों-करोड़ों को प्रमाण प्राप्त हो गए हैं | और गुंडों को भी समझ में आएगा कि गवाह ने अपना बयान सार्वजनिक कर दिया है - इसीलिए अब गवाह को मारने से कोई लाभ नहीं है | इस प्रकार अपराधियों को सजा होगी और शोषण-भ्रष्टाचार भी कम हो जायेगा और गवाह की भी जान बच जायेगी |

3. क्यों भारत के नागरिकों को इस कानून की सबसे ज्यादा जरुरत है ?

भारतीय राज व्यवस्था में सबसे बड़ा दोष यह है कि नागरिकों के पास शासकों के सम्मुख अपनी स्पष्ट मांग संगठित रूप से रखने की कोई नागरिक-प्रामाणिक प्रक्रिया नहीं है । उच्च वर्ग के लोग अपने संपर्क द्वारा अपनी कोई बात जनता के सामने रखना चाहें तो वे ऐसा मिडिया के माध्यम से आसानी से कर सकते हैं, किन्तु यदि जनता अपनी कोई मांग या सुझाव शासन के सम्मुख रखना चाहे तो उन्हें अनशन, धरने, विरोध प्रदर्शन, हस्ताक्षर अभियान, ज्ञापन, रास्ता जाम, नारेबाजी आदि असंगठित तरीकों को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ता है । किन्तु इन सब तरीकों से कोई 'नागरिक प्रमाणिक' प्रमाण पैदा नहीं होता,  मतलब कोई भी नागरिक स्वयं संपर्क करके जांच सके, ऐसा प्रमाण नहीं मिल पाता कि कितने नागरिक किसी विषय के समर्थन या विरोध में हैं । नागरिक-प्रामाणिक नहीं होने से नागरिकों और अफसरों में इन प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता नहीं होती | बिना किसी ऐसे सार्वजानिक प्रमाण के जो सभी जांच सकें, अफसर पर कोई दबाव नहीं आता और अफसर आवश्यक कार्य न करने के लिए कोई बहाना देकर आसानी से फिसल सकता है | 

pgportal.gov.in जैसी सरकारी साईट में नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ शिकायत दर्शाने का विकल्प भी नहीं है, जिससे दूसरे नागरिक ये पता नहीं लगा सकते कि शिकायत दर्ज करने वाला व्यक्ति असली हैं कि नकली | फेसबुक, आदि सोशल मीडिया पर आई.डी., लाइक और कमेन्ट बिकते हैं और बिना समपर्क साधन के कोई ये नहीं पता लगा सकता कि आई.डी. असली है या नकली | लेकिन टी.सी.पी. में नागरिक की राय पहचान पत्र संख्या के साथ मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री वेबसाईट पर आएगी ; कोई भी नागरिक वोटर आई.डी. राय वाले डाटा का सैम्पल लेकर, वोटर कार्ड नंबर से राय देने वाले व्यक्तियों का पता निकालकर उनसे संपर्क करके स्वयं पता लगा सकता हैं कि डाटा सही है कि नहीं |

जिन लोगों के पास इन्टरनेट नहीं भी है, वे भी इस प्रक्रिया का उपयोग कर सकेंगे, कलक्टर दफ्तर या निश्चित सरकारी दफ्तर जाकर और अपनी अर्जी प्रधानमंत्री वेबसाईट पर स्कैन करवाकर | क्योंकि इस प्रक्रिया में कोई भी व्यक्ति कभी भी अपनी राय बदल सकता है, ये प्रक्रिया पैसों, गुंडों, मीडिया द्वारा या अन्य किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं कि जा सकेगी | प्रक्रिया नागरिक-प्रामाणिक होने से कोई भी नागिक स्वयं जांच सकता है कि सच क्या है, क्या नहीं |

इस प्रस्तावित प्रक्रिया के लागू होने से प्रस्तावों को आसानी से दबाया नहीं जा सकता है और दूसरे जनहित के प्रक्रियाओं की आने की सम्भावना बढ़ जायेगी जिससे गरीबी और शोषण-भ्रष्टाचार को कुछ ही महीनों में कम किया जा सकता है | इसके बारे में अधिक इस लिंक में पढ़ सकते हैं smstoneta.com/prajaadhinbharat  विशेषकर चैप्टर 1, 5, 6, 21, 22, प्रश्नोत्तरी | अकसर पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिए कृपया ये लिंक देखें – righttorecall.info/004.h.htm  या हमसे समपर्क करें

ये प्रक्रिया वैकल्पिक है और सुरक्षित है | आप चाहें तो अपना नाम गुप्त रखकर किसी मित्र या ईमानदार अफसर को एफिडेविट अपने नाम से दर्ज करने के लिए कह सकते हैं | क्योंकि पारदर्शी शिकायत प्रणाली (टी.सी.पी.) लागू होने से कोई भी भ्रष्ट पोलिस, जज और नेता के विरुद्ध सबूत की कॉपी जमा करवा सकता है और उन सबूतों को दबाना अधिक कठिन हो जायेगा, इसीलिए पोलिस, जज और नेता गुंडों की मदद करने से डरेंगे | और इसीलिए, गुंडा गुंडागर्दी कम कर देगा |

4.  नागरिक अपना वोटर आई.डी. नंबर समर्थन दर्ज करके प्रस्तावित कानून ला सकते हैं

1.       अपने मोबाइल इन्बोक्स से 9693938833  पर मोबाइल एक्टिवेशन-एस.एम.एस भेजें इस फोर्मैट में -

   *आपकी-वोटर-आई.डी-संख्या*
(मतलब दो स्टार सिम्बल या चिन्ह के बीच में आप अपना वोटर आई.डी. नंबर डाल कर एस.एम.एस. करें
; एक मोबाइल से केवल एक ही वोटर आई.डी.) उदाहरण *GDH653091* जहाँ GDH653091 वोटर लिस्ट में वैध वोटर नंबर का उदाहरण

2.       फिर, 9693938833  पर केवल ये चार अंक का एस.एम.एस. भेजें जो इस प्रस्ताव का समर्थन कोड है -

   0011
(केवल ये चार अंक रहेंगे एस.एम.एस. में)

3.       support@brvp.org पर ई-मेल भेजें जिसमें आपका वोटर नंबर, मोबाइल नंबर लिखा हो जिसको आप साईट, sms.brvp.org/hindi पर पंजीकृत करवाना चाहते हैं और आपकी वीडियो पंजीकरण हेतु विनती हो या हमसे संपर्क करें

ये तीन स्टेप करने पर आपकी वोटर आई.डी. के साथ राय यहाँ दिखेगी – sms.brvp.org/tcp  |

नोट – यदि किसी करणवश आपके पास वोटर आई.डी. नहीं हैतो आप पहला एस.एम.एस इस प्रकार से भेजें –
*abc1234567*
दूसरा एस.एम.एस उसी प्रकार से रहेंगे जैसे ऊपर बताया गया है | फिरआपका समर्थन अपंजीकृत पेज पर आएगा (आपके मोबाइल के अंतिम 5 अंक के साथ) sms.brvp.org/apanjikrit

इसके अलावाआप (नागरिक) अपने प्रिय नेता या जनसेवक को निम्नलिखित एस.एम.एस. और ट्विट्टर द्वारा ये आदेश भेजकर और सभी को ऐसा करने के लिए कहकर शोषण कम करने वाली और जान बचाने वाली प्रक्रिया लागू करवा सकते हैं –

 Kripya TCP prakriya mygov.in/comment/98813881 rajptr mein chhapwayein. FileSha1Hash = d62141c8e2b4d1e1d291d5a673646ab2ebf695f5  Kripya sms.brvp.org jaisa Public SMS Server banayein jismein logon ki SMS dwara raay unke voter ID no ke saath sabhi ko dikhe

(ऊपर दिए गए एस.एम.एस को डाउनलोड करने के लिए QR कोड स्कैन करें)

·       ट्विट्टर का उदाहरण –

@pmoindia Kripya Bhartiya rajptr mein chhapwayein - mygov.in/comment/98813881 sha1 - d62141c8e2b4d1e1d291d5a673646ab2ebf695f5 #TCP

हस्ताक्षर द्वारा समर्थन की तुलना में, वोटर आई.डी. नंबर इन्टरनेट समर्थन प्रामाणिक है | क्योंकि नागरिक हस्ताक्षर को स्वयं जांच नहीं सकते और न ही हस्ताक्षर देने वाले को संपर्क करके और जानकारी ले सकते हैं जबकि वोटर आई.डी. नंबर से पता निकालकर नागरिक स्वयं संपर्क करके जांच सकता है |

यदि किसी क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में लोगों ने इसका वोटर आई.डी. नंबर प्रमाण के साथ सार्वजनिक, इन्टरनेट पर समर्थन दिखाया और जनसेवक से मांग किया तो उस क्षेत्र में ये कानून और सिस्टम आ जायेगा और उस क्षेत्र में अपराध, भ्रष्टाचार कम हो जायेगा |

पब्लिक एस.एम.एस. गिनती सर्वर के लाभ और उसे कैसे बनाया जा सकता है इसकी अधिक जानकारी के लिए कृपया  tinyurl.com/PublicSMSServer  देखें ; फाइल हैश tinyurl.com/FileHashCampaignH पर देखें या हमसे संपर्क करें